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थ्री ओफ वांड

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अपराईट भविष्य कथन का महत्व



सहयोग, अच्छी साझेदारी, सफलता, प्रगति, विस्तार, दूरदर्शिता, विदेशी अवसर

कार्ड में दर्शाए गई छवी महर्षि अगस्त्य मुनि की है। जिनसे समुद्र ने सहयोग नहीं किया तो समुद्र को मंत्र की ताकत से पी लिया था। आपके भी अंदर इसी प्रकार की क्षमता है इसलिए सभी लोग आपसे सहयोग रखते हैं। आप नजदीकी समय में अच्छी साझेदारी करके सफलता प्राप्त कर सकते हैं। आपकी प्रगति होगी। बिजनस एवं आर्थिक रूप से विस्तार होगा।आपके अंदर और एक गुण है, दूरदर्शिता। उसका विकास करने की आवश्य्कता है। विदेशी अवसर के चांसेस बनते हैं। उस दिशा में भी प्रयत्न जारी रखिए।

रिवर्स भविष्य कथन



लापरवाही, अहंकार, अभिमान, गलतियाँ, छोटा खेलना, दूरदर्शिता की कमी, अप्रत्याशित देरी

आपके अंदर लापरवाही का अवगुण नहीं है। लेकिन ओवर कोंफिडंस से होनेवाले काम बिगडते हैं ध्यान रखिए।आप के अंदर अहंकार, अभिमान जरा भी नहीं है।किंतु अपनी छोटी गलतियाँ छोटी समझकर नजर अंदाज नहीं करना। हमेशा शुरुआत में छोटा खेलना है अचानक से बडा प्लान नहीं बनाना है।अपने प्लान को चार बार चेक करे जिसमें दूरदर्शिता की कमी नहीं होनी चाहिए।अन्यथा अप्रत्याशित देरी होने की सम्भावना है।

युरोपिय टैरो कार्ड अभ्यास वस्तु



एक अधेड़ उम्र आदमी लाल रंग के कपड़े और हरे रंग के तौलिये के साथ समुद्र की ओर देख रहा है, कार्ड रीडर की तरफ पीठ है। वह अपने दाहिने हाथ में एक वांड (गुढी) पकड़े हुए है। आकाश पीला है।

प्राचीन भारतीय टैरो कार्ड अभ्यास वस्तु


भगवा वस्त्र एक ऋषि समुद्र से बात कर रहे हैं। वह दहिने हाथ से एक वांड (गुढी) पकड़े हुए है, और दूसरी दो डंडियों से समुद्र पर चिन्ह लगा रहे है। वह महर्षि अगस्त्य मुनि हैं, जो अपनी चमत्कारी शक्ति से समुद्र को भी पी लेते हैं। कालकेय राक्षस तीनो लोक में अपनी शरारत के कारण कुख्यात था। उसने हर देवी-देवता का आसन हिला दिया था। अंत में, कालकेय गहरे समुद्र में चला गया। उसे ढूंढना बहुत मुश्किल था।

समुद्र अगस्त्य मुनि ने एक सम्य सीमा दी थी, ताकि वह कालकेय को ढूंढने में उनकी मदद करे। लेकिन समुद्रने मुनी का उपहास किया। इसलिए अगस्त्य मुनि ने अपनी शक्तियों से समुद्र को सुखा दिया।

(अगस्त मुनि की विस्तृत कथा ।)

महर्षि अगस्त्य एक महान ऋषि थे। दक्षिण भारत में उनकी लोकप्रियता अधिक है। उन्होंने कई उल्लेखनीय कार्य किए थे। ऋषि अगस्त्य के वंशजों को अगस्त्य वंशी कहा गया है। ऋग्वेद में इनका उल्लेख मिलता है। ब्रह्मा के पुत्र ऋषि अगस्त्य वशिष्ठ के भाई थे। । उनके एक भाई का नाम विश्रवा था जो रावण के पिता थे। महर्षि अगस्त्य ने विदर्भ-नरेश की पुत्री लोपामुद्रा उर्फ कृष्णेक्षणा से विवाह किया, जो विद्वान और वेदज्ञ थीं।

महर्षि अगस्त्य की गणना सप्तर्षियों में की जाती है। ये भगवान शंकर से सबसे श्रेष्ठ 7 शिष्यों में से एक थे। महर्षि अगस्त्य राजा दशरथ के राजगुरु थे। महर्षि अगस्त्य को मं‍त्रदृष्टा ऋषि कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने अपने तपस्या काल में उन मंत्रों की शक्ति को देखा था। ऋग्वेद के अनेक मंत्र इनके द्वारा दृष्ट हैं। महर्षि अगस्त्य ने ही ऋग्वेद के प्रथम मंडल के 165 सूक्त से 191 तक के सूक्तों को बताया था। साथ ही इनके पुत्र दृढ़च्युत तथा दृढ़च्युत के पुत्र इध्मवाह ने भी नवम मंडल के 25वें तथा 26वें सूक्त की रचना की हैं। ऋषि अगस्त्य ने ही इन्द्र और मरुतों में संधि करवाई थी। अगस्त्य ऋषि ने मंत्र शक्ति के बल पर विंध्याचल पर्वत को झुका दिया जिससे से दक्षिण भारत में पहुंचने का मार्ग सरल बन गया था। महर्षि अगस्त्य समुद्रस्थ राक्षसों के अत्याचार से देवताओं को मुक्ति दिलाने हेतु सारा समुद्र पी गए थे। अगस्त्य के बारे में कहा जाता है कि एक बार इन्होंने अपनी मंत्र शक्ति से समुद्र का समूचा जल पी लिया था। इसी प्रकार कालकेय तथा वातापी नामक दुष्ट दैत्यों द्वारा हो रहे ऋषि-संहार को इन्होंने ही बंद करवाया था। मणिमती नगरी के कालकेय तथा वातापी नामक दुष्ट दैत्यों की शक्ति को नष्ट कर दिया था। अगस्त्य ऋषि के काल में राजा श्रुतर्वा, बृहदस्थ और त्रसदस्यु थे।

श्रीराम अपने वनवास काल में ऋषि अगस्त्य के आश्रम में पधारे थे।

ऋषि अगस्त्य के वंशजों को अगस्त्य वंशी कहा गया है। अगस्त्य वंश के गोत्रकार करंभ (करंभव) कौशल्य, क्रतुवंशोद्भव, गांधारकावन, पौलस्त्य, पौलह, मयोभुव, शकट (करट), सुमेधस ये गोत्रकार अगस्त्य, मयोभुव तथा महेन्द्र इन 3 प्रवरों के हैं। अगस्त्य, पौर्णिमास ये गोत्रकार अगस्त्य, पारण, पौर्णिमास इन 3 प्रवरों के हैं।

ऋषि अगस्त्य ने 'अगस्त्य संहिता' नामक ग्रंथ की रचना की।





प्राचीन भारतीय टैरो कार्ड

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द मैजिशियन

द हाई प्रिस्टेस

द एम्प्रेस

द एम्परर

द हेरोफंट

द लवर्स

द चैरीओट

द स्ट्रेंग्थ

द हरमिट

द व्हील ऑफ फॉर्चून

जस्टिस

द हैंग्ड मैन

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